क्या तुम समझते हो मेरा दर्द? अरे! जिस्मानी नहीं रूहानी है क्या तुम समझते हो मेरा दर्द? अरे! जिस्मानी नहीं रूहानी है
जब भी हम कुछ बोलते हैं लोग उसको सही से समझते नहीं है, इलज़ाम हमारे ऊपर लगाकर हमेशा हम जब भी हम कुछ बोलते हैं लोग उसको सही से समझते नहीं है, इलज़ाम हमारे ऊपर लगाकर...
ख़ूब समझते चाल आपकी ख़ूब समझते चाल आपकी
तुम्हें अपना समझते हैं आँखो का सपना समझते हैं तू दूर ना होना रे हमसे कभी इसी सोच से तुम्हें अपना समझते हैं आँखो का सपना समझते हैं तू दूर ना होना रे हमसे कभी ...
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,